न्यायिक भ्रष्टाचार पर जस्टिस आदर्श गोयल का "आदर्श" प्रहार। पढ़िए क्या दिया ऐतिहासिक फैंसले में आदेश।
नई दिल्ली। भारत के न्यायिक इतिहास में अगस्त 2017 का यह दिन सुनहरी अक्षरों में लिखा जाएगा। यह वो दिन भी माना जाएगा जिस दिन न्यायपालिका के भष्टाचार को लगाम लगाई गई थी। सुप्रीमकोर्ट के आदर्श सोच के मालिक माननीय जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने एक एहम केस के फैंसले में देश भर की अदालतों और सरकारी ट्रिब्यूनल को कोर्ट रूम की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्ड करने का आदेश दिया है। माननीय जस्टिस ने इस काम के लिए केंद्र सरकार को एक माह और रिपोर्ट पेश करने के लिए 2 माह का समय दिया है। कानूनी विशेषग्यों का मानना है कि ऐसा कोर्ट की मर्यादा बनाये रखने के उद्देश्य से किया गया है जिसमें यह तथ्य भी शामिल होगा कि जज भी अपनी ज़िमेदारी को लेकर सजग रहे और सुनाया फैंसला बदल न पाए। शीर्ष कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान गत दिवस इसका ट्रायल करवाया था जो सफल रहा और उसको सभी कोर्ट्स पर लागू कर दिया।
पढ़िए आदेश के अंश;
"We direct the Union of India, Ministry of Information
and Technology in consultation with E-Committee of this
Court to lay down technical specifications and other modelities, including price range and sources of supply for installation of CCTV cameras in Courts. This may be done
within a period of one month from today and such
information may be provided to all the High Courts. The
duration for which audio and video recordings may be
retained may normally be three months, unless otherwise
directed by any High Court.